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यत्ते॑ दि॒त्सु प्र॒राध्यं॒ मनो॒ अस्ति॑ श्रु॒तं बृ॒हत्। तेन॑ दृ॒ळ्हा चि॑दद्रिव॒ आ वाजं॑ दर्षि सा॒तये॑ ॥३॥

English Transliteration

yat te ditsu prarādhyam mano asti śrutam bṛhat | tena dṛḻhā cid adriva ā vājaṁ darṣi sātaye ||

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Pad Path

यत्। ते॒। दि॒त्सु। प्र॒ऽराध्य॑म्। मनः॑। अस्ति॑। श्रु॒तम्। बृ॒हत्। तेन॑। दृ॒ळ्हा। चि॒त्। अ॒द्रि॒ऽवः॒। आ। वाज॑म्। द॒र्षि॒। सा॒तये॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:39» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:10» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अद्रिवः) उत्तम प्रकार शोभित पर्वत से युक्त विद्वन् ! (ते) आपके (यत्) जो (दित्सु) देने की इच्छा करनेवाला (प्रराध्यम्) अत्यन्त साधने योग्य (श्रुतम्) श्रवण और (बृहत्) बड़ा (मनः) चित्त (अस्ति) है (तेन) इससे (चित्) भी आप (दृळ्हा) दृढ़ वस्तुओं की रक्षा करते हो और (सातये) धर्म और अधर्म के विभाग के लिये (वाजम्) संग्राम का (आ, दर्षि) भङ्ग करते हो ॥३॥
Connotation: - जिससे मनुष्य ब्रह्मचर्य्य, विद्या, योगाभ्यास और सत्यभाषण आदि के आचरण से सम्पूर्ण विद्याओं से युक्त मन को सिद्ध कर धर्म से सम्पूर्ण जनों के हित के लिये दुष्टों को दण्ड देता है, इससे वह अति उत्तम है ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अद्रिवो विद्वंस्ते यद्दित्सु प्रराध्यं श्रुतं बृहन्मनोऽस्ति तेन चित्त्वं दृळ्हा रक्षसि सातये वाजमा दर्षि ॥३॥

Word-Meaning: - (यत्) (ते) तव (दित्सु) दातुमिच्छु (प्रराध्यम्) प्रकर्षेण साद्धुं योग्यम् (मनः) चित्तम् (अस्ति) (श्रुतम्) (बृहत्) महत् (तेन) (दृळ्हा) दृढानि (चित्) (अद्रिवः) सुशोभितशैलयुक्त (आ) (वाजम्) सङ्ग्रामम् (दर्षि) विदृणासि (सातये) धर्म्माधर्म्मविभागाय ॥३॥
Connotation: - यतो मनुष्यो ब्रह्मचर्य्यविद्यायोगाभ्याससत्यभाषणाद्याचरणेन सर्वविद्यायुक्तं मनः सम्पाद्य धर्मेण सार्वजनिकहिताय दुष्टान् दण्डयति तस्मात् सोऽत्युत्तमोऽस्ति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो माणूस ब्रह्मचर्य, विद्या योगाभ्यास व सत्य भाषण इत्यादींच्या आचरणाने मनाला संपूर्ण विद्यांनी युक्त करतो व धर्मयुक्त बनून सर्व लोकांच्या हितासाठी दुष्टांना दंड देतो. तो अत्यंत उत्तम असतो. ॥ ३ ॥